मारना ही जुर्म क्यों है पैदा करना क्यों नहीं,,,,
आज मैंने एक फ़िल्म देखा " बोल ".. इस फ़िल्म ने एक सवाल खड़े किये और उस सवाल ने मेरे मन मस्तिष्क को झकझोर दिया,, ये सवाल मेरे अंदर भी सवाल दर सवाल खड़े कर रहे हैं, तो सोचा क्यों न आप सबसे भी चर्चा की जाय, या यूँ कहें की ये गन्दी बात आपसे करने की इच्छा प्रबल हो गई ,.
सवाल वही है "मारना ही जुर्म क्यों है पैदा करना क्यों नहीं " ??
हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके घर बेटियाँ ही हैं तो बेटे की चाह में या बेटे ही हैं तो बेटी की चाह में बच्चे पैदा किये जाते हैं,. ऐसे परिवार में अक्सर उस माँ की या उस औरत की चाह पूछी ही नहीं जाती की उसकी क्या इच्छा है या उसका शरीर अगले संतान के लिए कितना तैयार है। .मैं ये नहीं कहता की बदलाव नहीं आया है , बदलाव आया है जहां जिस घर में लडकियां पढ़ लिख कर आत्मनिर्भर बनी हैं बस वहीं बहुत हद्द तक ये संभव हो पाया है ,,, शायद ,,शायद इसलिए की बहुत सारे पढ़े - लिखे लोगों के बीच भी अभी बेटे और बेटियों की चाह में ज़रुरत के हिसाब से कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा। कम से कम मेरा अनुभव तो यही कहता है।
बहुत सारे लोग बच्चे को खुदा की नेमत मानते हैं या भगवान का आशीर्वाद , उनकी इच्छा,, और ये भी की ईश्वर और अल्लाह की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाना पाप है सो हम अपना कर्म कर रहे हैं बाकी उनकी मर्ज़ी,. मुझे नहीं पता इस विश्वास में कितनी सच्चाई है ,, शायद सच भी हो,, लेकिन अगर ये सच है तो सच ये भी है की ऐसे विश्वास को बढ़ावा देने वाले लोग अपने सुविधानुसार बहुत सारे पाप किये जाते हैं जो इंसानियत को शर्मशार करे। तब वो भूल जाते हैं की ईश्वर और अल्लाह इसकी इजाज़त नहीं देता,,
घर में जितने लोग हैं उनके खाने और तन ढ़कने को पैसे नहीं और बच्चे पैदा किये जा रहे हैं,., उस माँ के अंदर खून का कतरा नहीं लेकिन बच्चे पैदा किये जा रहे ,, और जब नहीं संभाल पाते तो कभी अनाथालय के दरवाज़े पर तो कभी सडकों पर छोड़ जाते हैं,,
तो सवाल उठता है की ऐसे लोगों के लिए बच्चे पैदा करना कानूनन जुर्म क्यों नहीं ,, चाहे सड़क पर भूख से बिलखता बच्चा हो आप उसे नहीं मार सकते , क्यों की कानूनन जुर्म है,, अच्छी बात है होना भी चाहिए क्यूंकि आप ने इंसान को मारा है ,, लेकिन उसे पैदा करने वाले को गुनेहगार क्यों नहीं माना जाता।
मेरी व्यक्तिगत राय तो यही है की ऐसे हालात में बच्चे पैदा करना भी जुर्म माना जाना चाहिए,,
एक बार सोच कर देखिये,, ज़रूर सोचिये ,,
आज मैंने एक फ़िल्म देखा " बोल ".. इस फ़िल्म ने एक सवाल खड़े किये और उस सवाल ने मेरे मन मस्तिष्क को झकझोर दिया,, ये सवाल मेरे अंदर भी सवाल दर सवाल खड़े कर रहे हैं, तो सोचा क्यों न आप सबसे भी चर्चा की जाय, या यूँ कहें की ये गन्दी बात आपसे करने की इच्छा प्रबल हो गई ,.
सवाल वही है "मारना ही जुर्म क्यों है पैदा करना क्यों नहीं " ??
हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके घर बेटियाँ ही हैं तो बेटे की चाह में या बेटे ही हैं तो बेटी की चाह में बच्चे पैदा किये जाते हैं,. ऐसे परिवार में अक्सर उस माँ की या उस औरत की चाह पूछी ही नहीं जाती की उसकी क्या इच्छा है या उसका शरीर अगले संतान के लिए कितना तैयार है। .मैं ये नहीं कहता की बदलाव नहीं आया है , बदलाव आया है जहां जिस घर में लडकियां पढ़ लिख कर आत्मनिर्भर बनी हैं बस वहीं बहुत हद्द तक ये संभव हो पाया है ,,, शायद ,,शायद इसलिए की बहुत सारे पढ़े - लिखे लोगों के बीच भी अभी बेटे और बेटियों की चाह में ज़रुरत के हिसाब से कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा। कम से कम मेरा अनुभव तो यही कहता है।
बहुत सारे लोग बच्चे को खुदा की नेमत मानते हैं या भगवान का आशीर्वाद , उनकी इच्छा,, और ये भी की ईश्वर और अल्लाह की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाना पाप है सो हम अपना कर्म कर रहे हैं बाकी उनकी मर्ज़ी,. मुझे नहीं पता इस विश्वास में कितनी सच्चाई है ,, शायद सच भी हो,, लेकिन अगर ये सच है तो सच ये भी है की ऐसे विश्वास को बढ़ावा देने वाले लोग अपने सुविधानुसार बहुत सारे पाप किये जाते हैं जो इंसानियत को शर्मशार करे। तब वो भूल जाते हैं की ईश्वर और अल्लाह इसकी इजाज़त नहीं देता,,
घर में जितने लोग हैं उनके खाने और तन ढ़कने को पैसे नहीं और बच्चे पैदा किये जा रहे हैं,., उस माँ के अंदर खून का कतरा नहीं लेकिन बच्चे पैदा किये जा रहे ,, और जब नहीं संभाल पाते तो कभी अनाथालय के दरवाज़े पर तो कभी सडकों पर छोड़ जाते हैं,,
तो सवाल उठता है की ऐसे लोगों के लिए बच्चे पैदा करना कानूनन जुर्म क्यों नहीं ,, चाहे सड़क पर भूख से बिलखता बच्चा हो आप उसे नहीं मार सकते , क्यों की कानूनन जुर्म है,, अच्छी बात है होना भी चाहिए क्यूंकि आप ने इंसान को मारा है ,, लेकिन उसे पैदा करने वाले को गुनेहगार क्यों नहीं माना जाता।
मेरी व्यक्तिगत राय तो यही है की ऐसे हालात में बच्चे पैदा करना भी जुर्म माना जाना चाहिए,,
एक बार सोच कर देखिये,, ज़रूर सोचिये ,,